Considerations To Know About Shiv chaisa

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

शिव चालीसा के माध्यम से आप भी अपने दुखों को दूर करके शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।

बुरी आत्माओं से मुक्ति के Shiv chaisa लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

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